27-02-14   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

“शिव अवतरण पर व्यर्थ को समाप्त करने की विशेष सौगात बाप को दो, विशेष अटेंशन देकर एक मास निर्विघ्न अवस्था की अनुभूति करो”

आज सभी लाडले बच्चों को शिव अवतरण, शिव जयन्ती की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। आज के दिन बापदादा ने देखा कि सवेरे से लेके सभी के दिल में परमात्म अवतरण की, यादगार की बहुत-बहुत खुशी है क्योंकि बाप के अवतरण के साथ आप बच्चों का भी दिव्य जन्म हुआ है। तो बच्चे बाप को मुबारक दे रहे हैं और बापदादा आप एक-एक को आपके भी दिव्य जन्म की लाख गुणा मुबारक दे रहे हैं। हर एक के मन में जन्म से लेके अब तक सारे संगमयुग की यादें दिल में समा रही हैं। आज सबकी बुद्धि में शिव अवतरण की खुशी है और बाप को भी बच्चों के दिव्य जन्म की बहुत-बहुत खुशी है। वाह सिकीलधे मीठे मीठे बच्चे वाह! क्योंकि बाप के साथ आप बच्चों का भी यह अलौकिक दिव्य पूज्यनीय जन्म है। इस संगम पर बाप के साथ अवतरित हो अर्थात् नया जन्म लेके विश्व कल्याण के कर्तव्य के निमित्त बने हो। बाप के साथ आप बच्चे भी हर कर्तव्य में साथी हो। सभी को उमंग-उत्साह है कि इस विश्व को परिवर्तन करना ही है। दिल में उमंग है ना! उमंग है जो हाथ उठाओ। अच्छा। 

बापदादा ने भी देखा मैजारिटी बच्चों में अपना राज्य आने की बहुत खुशी है क्योंकि जानते हैं कि हमारा राज्य आया कि आया। यह शिवरात्रि सभी बच्चों को बाप के अवतरण की खुशी दिलाती है। तो आज सबके मन में शिव बाप की याद समाई हुई है। हमारा बाबा आ गया। हमारा राज्य आया कि आया। बापदादा भी बच्चों के उमंग-उत्साह को देख बच्चों के गीत गाते हैं वाह बच्चे वाह! बाप ने देखा कि विशेष सेवा में लगे हुए बच्चे दिनरात खुशी में दिल में गीत गाते हैं हमारा राज्य आया कि आया। अब उस राज्य में जाने की तैयारी जानते तो हो। 

तो आज शिवरात्रि पर हर एक अपने दिल के चार्ट को देखना कि अपने राज्य में जाने के लिए अपने में सम्पूर्णता कितनी लाई है? क्योंकि सम्पूर्ण राज्य में जाना है, जहाँ दु:ख का नामनिशान नहीं, तो अभी से अपनी दिल में सदा निर्विघ्न रहने का संस्कार देखते हो? विघ्न आने के पहले ही निर्विघ्न अवस्था की अनुभूति होती है? अभी बापदादा बच्चों में विघ्नविनाशक की विशेषता देख भी रहे हैं और देखने चाहते भी हैं। बाप का निर्विघ्न साथी बनकर चलने का पक्का संस्कार कोई-कोई बच्चों का है, अटेंशन है लेकिन अटेंशन का अर्थ है नो टेंशन, इस बात के ऊपर अच्छा ध्यान है क्योंकि अभी आप निमित्त बने हुए बच्चे निर्विघ्न अवस्था के अनुभवी बनेंगे तभी आपके निर्विघ्नता का वायब्रेशन पुरुषार्थी बच्चों को पहुँचेगा।

तो आज बापदादा देख रहे थे निर्विघ्न स्थिति कितना समय रहती है? कोई-कोई बच्चों की रिजल्ट अच्छी अटेंशन देने की देखी। उन बच्चों को बापदादा आज शिव अवतरण के दिन, यादगार है शिव अवतरण का, तो आज के दिन ऐसे निर्विघ्न रहने का लक्ष्म रखने वालों को बापदादा अवतरण के दिन की मुबारक भी देते हैं और दिलाराम दिल का प्यार भी दे रहे हैं। दिल में गीत गा रहे हैं वाह बच्चे वाह! अटेंशन देना अर्थात् टेंशन नहीं, उसकी निशानी हैं अटेंशन, टेंशन नहीं। तो आज बापदादा चेक कर रहे थे ऐसे बच्चे भी हैं लेकिन सदा अटेंशन में रहने वाले जितने बाप चाहते हैं उससे कम हैं। तो आज के अवतरण दिवस पर बाप यही चाहते हैं कि हर बच्चा अभी अपने पुरुषार्थ अनुसार अपने पास नोट करे, जो भी समय अपने अनुसार आप फिक्स करो, उतना समय निर्विघ्न रहे क्योंकि आगे चलकर निर्विघ्न का अटेंशन रखना आवश्यक है इसलिए बापदादा चाहते हैं सारे विश्व के चारों ओर के बच्चे अब अपने हिम्मत के प्रमाण फिक्स करे कि इतना समय मैं आत्मा निर्विघ्न रह सकती हूँ और अटेंशन से रहके देखे। निर्विघ्न रहना सहज है या मुश्किल है? जो समझते हैं अटेंशन से सहज है, वह हाथ उठाओ। अच्छा। हाथ उठाओ, ताकत नहीं है तो नहीं उठाओ। तो बापदादा एक मास की रिजल्ट देखने चाहते हैं, सिर्फ एक मास, ज्यादा नहीं बताते हैं। तो एक मास संकल्प में भी निर्विघ्न व्यर्थ संकल्प भी नहीं, स्टाप कहा स्टाप। अभी संकल्प के ऊपर अटेंशन की आवश्यकता है। तो चेक करना हर एक संकल्प में भी निर्विघ्न रहे? व्यर्थ संकल्प भी नहीं। क्या अपने संकल्प शक्ति पर इतना अटेंशन है? संकल्प अपनी शक्ति है ना। तो निर्विघ्न रहने का प्लैन सोचो, एक मास के लिए चेक करो जो सोचा वह हुआ? क्योंकि माया भी सुन रही है। कितनी भी वातावरण की माया हो, लेकिन वातावरण का प्रभाव मन के शुभ संकल्प में विघ्न रूप नहीं बने, इसमें सफलता हो, तो 15 दिन के अन्दर चेक करना - व्यर्थ संकल्प भी नहीं, सदा दिल में बाप समाया हुआ है? अभी कुछ समय इस बात पर, संकल्प के पुरुषार्थ पर अटेंशन देना। वाणी और कर्म तो मोटी चीज़ है लेकिन संकल्प भी व्यर्थ न हो क्योंकि एक एक संकल्प की चेकिंग आवश्यक है। भले वाचा और कर्मणा भी हैं लेकिन मन्सा शक्ति पावरफुल होने से वाचा कर्मणा में फर्क पड़ जायेगा। तो बापदादा आज मन्सा संकल्प के तरफ अटेंशन खिंचवा रहे हैं, जो निमित्त महारथी हैं अब मन्सा शक्ति के ऊपर अटेंशन दो। वाणी और कर्म तो आटोमेटिकली ठीक हो ही जायेगा। तो बापदादा आज मन्सा संकल्प के लिए इशारा दे रहे हैं क्योंकि वेस्ट थॉट्स जो आवश्यक नहीं हैं वह भी टाइम ले लेते हैं। वह समय बचाना है। हो सकता है? हो सकता है हाथ उठाओ। अच्छा। उमंग-उत्साह वाले तो बहुत हो इसकी शाबास। अभी उमंग-उत्साह को कर्म तक लाओ। इसमें भी पास हो जायेंगे क्योंकि बाप को साथ रखेंगे ना, तो बाप का साथ होने से आटोमेटिकली व्यर्थ समाप्त हो जायेगा। 

तो आज बापदादा वेस्ट थॉट्स, उसके ऊपर अटेंशन खिचवा रहे हैं क्योंकि इसमें टाइम बहुत वेस्ट जाता है। टाइम को तीव्र पुरुषार्थ में लगाना है। तो आज बापदादा व्यर्थ के ऊपर अटेंशन खींच रहे हैं क्योंकि बच्चे कहते हैं खराब संकल्प तो नहीं हैं ना! यह छोटे-छोटे व्यर्थ संकल्प हैं लेकिन कभी भी धोखा समय पर दे सकते हैं इसलिए व्यर्थ को भी कम करो। तो मन्सा वाचा और कर्मणा, कर्म (सम्बन्ध-सम्पर्क) सबमें चेक करो कि वेस्ट कितना है बेस्ट कितना है? क्योंकि इस शिव रात्रि पर बाप को कोई सौगात तो देंगे ना! देंगे? हाथ उठाओ। तो बापदादा यही सौगात चाहते हैं कि व्यर्थ को समाप्त करो। अटेंशन दो। बुराई के ऊपर तो अटेंशन है लेकिन व्यर्थ के ऊपर भी अटेंशन देना है क्योंकि व्यर्थ में समय बहुत वेस्ट जाता है। तो आज के दिन शिव जयन्ती के उपलक्ष्य में व्यर्थ के ऊपर अटेंशन देने का होमवर्क बापदादा दे रहा है। पसन्द हैं ना! पसन्द है? हाथ उठाओ। पसन्द है तो सब पास हो जायेंगे। पसन्द हैं तो पसन्द चीज़ तो दिल से की जाती है। तो मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। मेहनत तो नहीं लगती है ना। अरे, अटेंशन से मेहनत कम हो जाती है। करके देखो, सब पास होंगे, रिजल्ट पूछेंगे ना एक मास के बाद, तो मैजारिटी पास हों। हो सकता है ना? हो सकता हैं, हाथ उठाओ। अच्छा। तो यह तो सभी हाथ उठा रहे हैं। तो बापदादा कहते हैं वाह बच्चे वाह! लक्ष्य से लक्षण स्वत: और सहज हो जायेंगे। अच्छा – 

एक-एक बच्चे को बापदादा तीव्र पुरुषार्थ का इनाम देगा। पसन्द है ना! अच्छा। आज के दिन की शिव रात्रि का दिन है ना! तो आज के दिन की विशेष मुबारक है और दिल का प्यार है। आज बापदादा ने देखा डबल फारेनर्स बहुत हैं। उठो देखें कितने हैं? देखो, वाह! वाह भाई वाह! बापदादा खुश है। अटेंशन अच्छा है। बापदादा दिल की दुआयें दे रहे हैं। भारतवासियों को भी है। आजकल विदेशियों की सीजन है ना! तो बहुत तरफ से आये हैं, बापदादा देख रहे हैं कि काफी देशों से पहुँच गये हैं। (80 देशों से 1200 डबल विदेशी आये हैं) सब डबल खुश हैं ना! तन से मन से दोनों से? अच्छा है। सेवा के तरफ भी अटेंशन हैं और जितना बढ़ा सको सेवा उतनी बढ़ाते जाओ क्योंकि अचानक कुछ भी हो सकता हैं इसलिए सेवा को बढ़ाते जाओ क्योंकि अपना राज्य आना हैं ना। तो अपने राज्य में तो राज्य करेंगे ना। जितना हो सके उतना आत्माओं को बाप का परिचय तो दे दो बाप आया और चला जाए और बच्चों को पता ही नहीं पड़े, तो जितना हो सके उतना सन्देश जरूर दो। फिर पश्चाताप तो करेंगे कि बाप आया हमको सुनाया भी गया, लेकिन हम नहीं चले। आप अपना सन्देश देने का काम बढ़ाते चलो, कोई उल्हना नहीं दे हम तो पास में रहता था, हम तो एक गली में रहते थे तो भी हमको पता नहीं पड़ा। तो अच्छा है, फारेनर्स की रिजल्ट भी अच्छी है। मधुबन से प्यार है। और आपको पहले भी बताया कि आपके सेवा के बाद बापदादा विश्व सेवाधारी प्रसिद्ध हुए। आप भी जहाँ कोई रहा हुआ है, पहले भी सुनाया था, जहाँ तक हो सके सन्देश तो मिले कि हमारा बाप आया। चले नहीं चले वह उन्हों के ऊपर है लेकिन आपकी तरफ से परिचय तो मिले, फिर पश्चाताप करेंगे लेकिन मालूम तो पड़े ना! फिर भी रिजल्ट अच्छी है। बहुत अच्छा। जहाँ से भी आये हो मेहनत करके, तो मेहनत का फल आपको मिलेगा भी और जमा भी हुआ। बहुत अच्छा बैठ जाओ। डबल फारेनर्स देखो टाइटल क्या है? डबल फारेनर्स कभी भूलते नहीं होंगे, हम डबल विदेशी हैं। 

सेवा का टर्न राजस्थान जोन का हैं, 5000 आये हैं:- बापदादा ने देखा कि हर एक जोन की ड्यूटी होने के कारण अच्छी रिजल्ट है, वह जोन खास अटेंशन देता है। मैजारिटी रिजल्ट अच्छी है। आप क्या समझती हो? रिजल्ट अच्छी है ना। बहुत अच्छा यह जोन जोन को मिलता है ना तो अच्छा सेवा में सहयोगी भी हैं और जोन को भी विशेष मिलता है। दादियों का भी अटेंशन जोन पर पड़ता है। यह अच्छा लगता है ना, हाथ उठाओ। 

पहली बार बहुत आये हैं:- तो पहली बार आने वालों को पहला नम्बर लेना है क्योंकि इतना समय जो मिस किया, वह समय को पूरा करना है इसलिए तीव्र पुरुषार्थी बनना, ढीले ढाले नहीं तीव्र पुरुषार्थी। मंजूर है? तीव्र पुरुषार्थी। 

दादी रतन मोहिनी जी को डॉक्टरेट की डिग्री मिली है:- यह भी संस्था का शान है, तो ब्रह्माकुमारीज सब कुछ कर सकती है। नहीं तो सोचते हैं पता नहीं ब्रह्माकुमारियां क्या करती हैं इससे समझते हैं तो वह आलराउन्ड सब तरफ पहुँच सकती हैं। अच्छा। 

(दादी जानकी - वन्डरफुल बाबा कमाल है दिलो को सारा खींच लेता है।) दिलाराम है ना। दिलाराम के पास दिल पहुंच गई। (सभी को कैसे पता पड़ेगा) पता पड़ जायेगा। जो रहे हुए हैं उनको पता पड़ता जाता है। अभी उमंग उत्साह से रहे हुए स्थान को पहुँचाओ सभी को। आप कराओ। बाबा करा रहा है, बाप अभी भी कराता रहेगा। कहाँ जायेंगे? (शरीर की खिटपिट होती रहती है) कोई बात नहीं है। बच्चों को तो आगे बढ़ाने के निमित्त हैं क्योंकि बच्चों को ही सामना करना पड़ता है। फिर भी बच्चों द्वारा ही करना पड़ता है। 

मोहिनी बहन ने बापदादा को बधाई दी:- आपको लाख गुणा मुबारक हो। 

रमेश भाई ने कार्ड दिया:- आपको हजार गुणा, पदमगुणा मुबारक हो। 

बृजमोहन भाई से:- अटेंशन है और आगे बढ़ते चलो।

भूपाल भाई से:- ठीक है बहुत अच्छा। 

बापदादा को सभी के भेजे हुए कार्ड दिखाये:- (रशिया और नलिनी बहन का कार्ड दिखाया) उनको कहना बापदादा ने देखा। उसको फल या टोली भेजना। 

विदेश की बड़ी बहिनों से:- सभी महारथी इकट्ठे हो गये हैं देश के भी और विदेश के भी। यह संगठन अच्छा लगता है ना। (सभी देश मिलकर एक साथ कोई सेवा करे) पुरुषार्थ भी कर रहे हैं, सेवा भी कर रहे हैं और सफलता भी है। बापदादा खुश है चाहे देश वाले चाहे विदेश वाले। मेहनत कर रहे हैं और मेहनत का फल भी निकल रहा है इसलिए मुबारक हो, मुबारक हो। निमित्त तो आप लोग हो ना। बापदादा तो आपको बल देता लेकिन दुनिया के आगे तो बच्चों को ही करना है। 

(कोयम्बतूर से डाक्टर आये हैं) अभी डबल डाक्टर। सिंगल नहीं डबल डाक्टर बनना है। पक्का हो गया। पक्का। अच्छा है आगे बढ़ते जाओ। सेवा में आगे बढ़ते जाओ। आपके पास तो बना बनाया सन्देश देने का साधन है, बहुत सेवा करो। करेंगे। अच्छा है। 

बापदादा ने अपने हस्तों से शिवध्वज फहराया:-

सभी की दिल एक ही शब्द बोल रही है वाह शिव जयन्ती वाह! वाह शिवबाबा वाह!

ओम् शान्ति